राजस्थान: अजमेर संभाग में भाजपा की हालत कमजोर, इन मुद्दों को लेकर मैदान में उतरेगी कांग्रेस
राजस्थान में चुनावी बिगुल बज चुका है। प्रमुख राजनीतिक
पार्टियां भाजपा और कांग्रेस के साथ ही अन्य पार्टियां भी चुनाव जीतने के
लिए अपने-अपने प्रयास कर रही हैं। राजस्थान में ऐसी परंपरा रही है कि एक
बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस की सरकार आती रही है। इस बार भी यही समीकरण
बनते नजर आ रहे हैं। हालांकि भाजपा खुद को मजबूत बता रही है और सत्ता में
आने के दावे कर रही है। जमीनी हकीकत की अगर बात करें तो भाजपा की स्थिति
बेहद कमजोर है। सत्ता में रहते भाजपा की जो खामियां रही, कांग्रेस उन्हीं
मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में उतर चुकी है। आगामी विधानसभा चुनाव की
बात करें तो बार कांग्रेस जहां काफी मजबूत दिख रही है तो भाजपा की स्थिति
कमजोर है||
बिजली की निजीकरण करना नुकसानदायक
अजमेर संभाग में खास तौर से विकास के मुद्दे को कांग्रेस भुनाने वाली है।
जितना विकास होना चाहिए था उससे काफी कम विकास हो सका। इसके चलते लोगों में
काफी रोष है। बेरोजगारी का मुद्दा भी इस बार काफी जोर पकड़ेगा। अजमेर जिले
की बात करें तो शहर में टाटा पावर के हाथों में बिजली व्यवस्था को देकर
निजीकरण करना भाजपा को भारी पड़ेगा। टाटा पावर के खिलाफ लोगों में गहरा
आक्रोश व्याप्त है। वहीं पूरा जिला पेयजल की किल्लत से भी जूझ रहा है। इस
मुद्दे को भी कांग्रेस पूरी तरह भुनाने में लगी है। भीलवाड़ा जिले में भी
विद्युत का निजीकरण किया गया। यहां सिक्योर कंपनी के हाथ में बिजली की
व्यवस्था दी गई।
स्त्रोत :वन इंडिया हिंदी
सरकार नहीं खर्च कर पाई राशि
भीलवाड़ा के माइनिंग एरिया में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खर्च होने वाली
2200 करोड़ रूपए की राशि भी खर्च नहीं हो पाई। यह राशि आज भी डीएनएफसी के
तहत पड़ी हुई है। अजमेर-भीलवाड़ा का लघु उद्योग भी चुनावी मुद्दा रहेगा। इस
उद्योग से जुड़े लोगों के भूखे मरने की नौबत आ गई है। इसका मुख्य कारण कच्चा
माल बाहर भेजना है। इसको लेकर कई बार आंदोलन भी हुआ लेकिन सरकार ने कोई
ध्यान नहीं दिया।
आनंदपाल एनकाउंटर बन सकता है चुनावी मुद्दा
नागौर जिले में इस बार कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल एनकाउंटर का मुद्दा भी
हावी रहेगा। यह मुद्दा भी जहां भाजपा के लिए मुसीबत बनेगा तो कांग्रेस के
लिए मददगार साबित होगा। गत दिनों नागौर के डीडवाना में पाकिस्तान के पक्ष
में की गई नारेबाजी का खामियाजा भी भाजपा को भुगतना पड़ेगा और कांग्रेस को
इसका फायदा मिलने वाला है। विकास का मुद्दा जहां भाजपा अपने पक्ष के लिए
छेड़ेगी तो वहीं कांग्रेस विकास के दावों की पोल खोलकर जनता से कांग्रेस को
जीत दिलवाने की अपील करेंगे।
भाजपा के प्रत्याशी हैं पीछे
अंत में टौंक जिले की चार विधानसभा सीटों पर भी भाजपा के प्रत्याशी पिछड़ते
दिख रहे हैं। यहां पर मुख्य मुद्दा बीसलपुर परियोजना का रहने वाला है। टौंक
में बीसलपुर स्थित होने के बावजूद भी यहां के लोगों को 48 घंटों में मात्र
एक घंटा पानी मिल रहा है। इससे यहां के लोग खफा हैं। उनकी मांग है कि
बीसलपुर का पानी टौंक के अलावा किसी को नहीं दिया जाए। यह मुद्दा भी भाजपा
के उम्मीदवारों को हराने में अपनी भूमिका निभा सकता है। भाजपा विकास के साथ
ही यहां हिन्दुत्व का मुद्दा लेकर चुनावी मैदान में उतरेगी। बेराजगारी भी
काफी हद तक बढ़ी है जो चुनाव का मुद्दा रहेगा।

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