क्या चुनाव आयोग भाजपा का चुनाव प्रभारी बन गया है? ब्लॉग :रविश कुमार बेहतर है आयोग अपना मुख्यालय बीजेपी के दफ़्तर में ही ले जाए. नया भी है और न्यू इंडिया के हिसाब से भी. मुख्य चुनाव आयुक्त वहां किसी पार्टी सचिव के साथ बैठकर प्रेस कांफ्रेंस की टाइमिंग तय कर लेंगे. इस चुनाव आयोग पर कोई कैसे भरोसा करे. ख़ुद ही बताता है कि साढ़े बारह बजे प्रेस कांफ्रेंस है. फिर इसे तीन बजे कर देता है. एक बजे प्रधानमंत्री की सभा है. क्या इस वजह से ऐसा किया गया कि रैली की कवरेज या उसमें की जाने वाली घोषणा प्रभावित न हो? बेहतर है आयोग अपना मुख्यालय बीजेपी के दफ़्तर में ही ले जाए. नया भी है और न्यू इंडिया के हिसाब से भी. मुख्य चुनाव आयुक्त वहां किसी पार्टी सचिव के साथ बैठकर प्रेस कांफ्रेंस की टाइमिंग तय कर लेंगे. देश का समय भी बर्बाद नहीं होगा. आयोग ख़ुद को भाजपा का चुनाव प्रभारी भी घोषित कर दे. क्या फ़र्क़ पड़ता है. प्रेस कांफ्रेंस का समय बढ़ाने का बहाना भी दे ही दीजिए. कुछ बोलना ही है तो बोलने में क्या जाता है. यह संस्था लगातार अपनी विश्वसनीयता से खिलवाड़ कर रही है. गुजरात विधानसभा की तार...
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