कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ सकते हैं बाग़ी
श्रीगंगानगर 25 नवम्बर श्रीगंगानगर पिछले डेढ़ दशक से दुर्भाग्य का शिकार होता आ रहा है जहाँ राजस्थान प्रदेश की जनता ने बदल बदल के राष्ट्रीय पार्टीयों को सत्ता सौंपी है वहीं श्रीगंगानगर की जनता ने राज्य की जनता के जनादेश के विरुद्ध अपना फैसला सुनाया है ,जिसका खामियाज़ा की कीमत शहर के विकास और किसानो को अपने हक़ के बदले लाठियाँ खाकर चुकानी पड़ी है | एक बार फिर समय चक्र ने जनता को मौका दिया है | पर इस बार भी दोनों पार्टियों में चुनाव 2018 में टिकट वितरण को लेकर असंतोष रहा है ,जिसका सीधा असर दोनों राष्ट्रीय पार्टियों को हुआ है | एक पार्टी प्रत्याशी पर प्रिंट मीडिया ने तो व्यंग तक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है ,पर दूसरी ओर कांग्रेस के वोट बैंक में तो उनके ही कार्यकर्ताओं ने सेंधमारी की है ,सत्ता की महत्वाकांक्षाएं या यूँ कहें की जनसेवा की भावना इतनी प्रबल हो चली की पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की समझाइश भी नाकाफी रही | जहाँ एक ओर सत्ता परिवर्तन की चर्चाएं हैं वहीं पर निर्दलीय खड़े हुए कांग्रेस के ही उम्मीदवार शक्ति प्रदर्शन में कम नहीं आंके जा सकते हैं |सात दिसंबर को होने वाले चुनाव न केवल जीत के संभावित उम्मीदवार का अपने प्रतिद्वंदी से वोटों का अंतर अप्रत्याशित रूप से घटा देंगे , बल्कि बिगाड़ भी सकते हैं |

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