राजस्थान के सी बी एस ई स्कूल और प्रकाशक काट रहे हैं चांदी
शिक्षा विभाग है कुंभकर्णी नींद में
श्रीगंगानगर 4 अप्रैल
आईबीसी फ़ास्ट ब्यूरो
शैक्षिक संस्थानों में नए शैक्षिक सत्र का आगाज़ हो चुका है माता- पिता,अभिभावक ,संरक्षक और छात्र अपने नए शैक्षिक सत्र में व्यस्त हैं इस बात से बेखबर की स्कूल प्रशासन और किताबों के प्रकाशक अपने कमीशन के खेल में उन्हें चूना लगाने वाले हैं।जी हां ,यही सच है कि आजकल व्यावसायीकरण की चिंगारियां शिक्षा जगत तक भी पहुंच चुकी हैं।कमीशन का खेल कुछ इस कदर चल रहा है कि शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले ये संस्थान भी मुनाफाखोर हो चले हैं। एनसीईआरटी के सत्यापित पाठ्यक्रम में उपलब्ध पुस्तकों की जगह ये स्कूल निजी प्रकाशकों की पुस्तकें और ब्रांडेड कॉपियों की खरीद का दवाब पैरेंट्स और छात्रों पर बना रहें हैं ।जिसका सीधी चोट मातापिता पर पड़ रही है। कुछ सैकड़ों की ये किताबों का सेट छात्रों को हजारों रूपए का पड़ रहा है।जबकि स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग क्या इस खेल और कमीशन खोरी से बेखबर है? सी बी एस ई के समय समय पर जारी निर्देश , सर्कुलर , और देश के विभिन्न हाई कोर्ट के सख्त आदेशों की पालना भी नहीं हो रही है। सी बी एस ई ने भी अपने सतर्कता कमेटी बनाई हुई है कहां है वे? कहीं कहीं तो ये एक ही कक्षा की एक ही विषय की किताबें एनसीईआरटी की किताब के रेट से चार गुणा ,पांच गुना मूल्य तक शिक्षा के मंदिरों में बिक रही हैं। जिनके पक्के बिल तक भी छात्रों और उनके माता पिता को नहीं दिए जा रहे हैं।अब अभिभावक भी क्या करें अगर इन स्कूलों में अच्छे स्तर की शिक्षा दिलवानी है तो कुछ तो नजरअंदाज करना ही पड़ेगा। क्या आप करेंगे?
शिक्षा विभाग है कुंभकर्णी नींद में
श्रीगंगानगर 4 अप्रैल
आईबीसी फ़ास्ट ब्यूरो
शैक्षिक संस्थानों में नए शैक्षिक सत्र का आगाज़ हो चुका है माता- पिता,अभिभावक ,संरक्षक और छात्र अपने नए शैक्षिक सत्र में व्यस्त हैं इस बात से बेखबर की स्कूल प्रशासन और किताबों के प्रकाशक अपने कमीशन के खेल में उन्हें चूना लगाने वाले हैं।जी हां ,यही सच है कि आजकल व्यावसायीकरण की चिंगारियां शिक्षा जगत तक भी पहुंच चुकी हैं।कमीशन का खेल कुछ इस कदर चल रहा है कि शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले ये संस्थान भी मुनाफाखोर हो चले हैं। एनसीईआरटी के सत्यापित पाठ्यक्रम में उपलब्ध पुस्तकों की जगह ये स्कूल निजी प्रकाशकों की पुस्तकें और ब्रांडेड कॉपियों की खरीद का दवाब पैरेंट्स और छात्रों पर बना रहें हैं ।जिसका सीधी चोट मातापिता पर पड़ रही है। कुछ सैकड़ों की ये किताबों का सेट छात्रों को हजारों रूपए का पड़ रहा है।जबकि स्थानीय प्रशासन और शिक्षा विभाग क्या इस खेल और कमीशन खोरी से बेखबर है? सी बी एस ई के समय समय पर जारी निर्देश , सर्कुलर , और देश के विभिन्न हाई कोर्ट के सख्त आदेशों की पालना भी नहीं हो रही है। सी बी एस ई ने भी अपने सतर्कता कमेटी बनाई हुई है कहां है वे? कहीं कहीं तो ये एक ही कक्षा की एक ही विषय की किताबें एनसीईआरटी की किताब के रेट से चार गुणा ,पांच गुना मूल्य तक शिक्षा के मंदिरों में बिक रही हैं। जिनके पक्के बिल तक भी छात्रों और उनके माता पिता को नहीं दिए जा रहे हैं।अब अभिभावक भी क्या करें अगर इन स्कूलों में अच्छे स्तर की शिक्षा दिलवानी है तो कुछ तो नजरअंदाज करना ही पड़ेगा। क्या आप करेंगे?

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