ब्रॉडवे इमिग्रेशन सर्विस कर रही है स्टूडेंट्स के साथ खिलवाड़
महज तीन महीने में बदले लगभग आधा दर्जन शिक्षक और काउंसलर
एक साल से कम अनुभवी महिला शिक्षिकाओं का प्रयोग
आईबीसी फास्ट ब्यूरो
श्रीगंगानगर 2 अगस्त
सीमांत क्षेत्रों से जैसे जैसे विदेश जाने का क्रेज बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे संस्थानों की बाढ़ सी आ गई है ।संस्थान अपने व्यापार में इतने मस्त हैं कि उन्हें छात्र छात्राओं के भविष्य और सेवाओं से मतलब नहीं रह गया है।राधेश्याम कोठी रोड स्थित इस संस्थान ने तो अपनी सेवाओं में कमी के वाबजूद छात्रों को ही आवाज़ उठाने पर संस्थान से बाहर का रास्ता दिखाया है ,जबकि छात्र लाइफ टाइम मेंबरशिप में आइल्ट्स की ट्रेनिंग में जुड़ा था।एक दूसरे छात्र को संस्थान कि ही शिक्षिका ने उनकी जिम्मेदारी नहीं है कहकर बेइज्जत किया था।जब ब्रॉडवे के हेड ऑफिस जालंधर, इस बारे संपर्क किया गया तो लगभग एक सप्ताह तक लगातार संपर्क करने के बाद भी कभी फोन पर डायरेक्टर अमरजीत ने बात नहीं की और न ही कभी संस्थान के किसी और हेड ने टीचर्स की चयन प्रक्रिया को न्यूज एजेंसी को बताना ही उचित समझा। इसके विपरीत जब श्रीगंगानगर ब्रॉडवे संस्थान की एक अध्यापिका पालक कोली को संपर्क कर उनके आइलेट्स योग्यता के संबंध में दूरभाष से पूछा गया तो उन्होंने संबंध विच्छेद कर दिया। एक छात्र ने उनका नाम प्रकाशित ना करने की शर्त पर बताया कि इस अध्यापिका ने जब एक छात्र की काउंसलिंग की तो इंग्लिश में " ग्रामर" शब्द को ही कागज पर सही नहीं लिखा ,तो ये क्या इंग्लिश पढ़ाएगी। दुबारा संपर्क करने पर तो उनकी तरफ से उनके भाई ने गाली गलौज तक करने में कोई कसर नहीं रखी।विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात है कि संस्थान एक साल अनुभवी नौसीखिया से पढ़ाने और मार्केटिंग करवाने की कार्यवाही करता है जिसमें महिला काउंसलर और शिक्षिका छात्रों को बड़े बड़े प्रलोभन देते हैं । संस्थान आर्ट्स और कॉमर्स स्नातक पास अभ्ययार्थीयों तक से आईल्ट्स छात्रोंं को पढ़े़़़वाने की कार्रवाई करता है।
ब्रॉडवे कि सेवाओं के एक यूजर इंजीनियर लव शर्मा ने एक महीने पूर्व ही संस्थान कि साइट पर ऑनलाइन कॉमेंट देते हुए ये लिखा कि ये वीसा की कार्यवाही के दौरान बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते, एक बार जैसे ही आप अपने कागज , डॉक्युमेंट्स, और फीस जैसी अन्य औपचारिकताएं इनके साथ पूरी करते हो ये क्लाइंट से संपर्क नहीं करते।और पूरी फीस जमा करने के बाद इनका स्टाफ बुरा व्यवहार भी करता है।
संस्थान की इस रीति नीति से छात्र छात्राओं को कितना लाभ पहुंच सकता है ,इसका अंदाजा संस्थान के मैनेजमेंट और चयन प्रक्रिया से लगाया जा सकता है।
महज तीन महीने में बदले लगभग आधा दर्जन शिक्षक और काउंसलर
एक साल से कम अनुभवी महिला शिक्षिकाओं का प्रयोग
आईबीसी फास्ट ब्यूरो
श्रीगंगानगर 2 अगस्त
सीमांत क्षेत्रों से जैसे जैसे विदेश जाने का क्रेज बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे संस्थानों की बाढ़ सी आ गई है ।संस्थान अपने व्यापार में इतने मस्त हैं कि उन्हें छात्र छात्राओं के भविष्य और सेवाओं से मतलब नहीं रह गया है।राधेश्याम कोठी रोड स्थित इस संस्थान ने तो अपनी सेवाओं में कमी के वाबजूद छात्रों को ही आवाज़ उठाने पर संस्थान से बाहर का रास्ता दिखाया है ,जबकि छात्र लाइफ टाइम मेंबरशिप में आइल्ट्स की ट्रेनिंग में जुड़ा था।एक दूसरे छात्र को संस्थान कि ही शिक्षिका ने उनकी जिम्मेदारी नहीं है कहकर बेइज्जत किया था।जब ब्रॉडवे के हेड ऑफिस जालंधर, इस बारे संपर्क किया गया तो लगभग एक सप्ताह तक लगातार संपर्क करने के बाद भी कभी फोन पर डायरेक्टर अमरजीत ने बात नहीं की और न ही कभी संस्थान के किसी और हेड ने टीचर्स की चयन प्रक्रिया को न्यूज एजेंसी को बताना ही उचित समझा। इसके विपरीत जब श्रीगंगानगर ब्रॉडवे संस्थान की एक अध्यापिका पालक कोली को संपर्क कर उनके आइलेट्स योग्यता के संबंध में दूरभाष से पूछा गया तो उन्होंने संबंध विच्छेद कर दिया। एक छात्र ने उनका नाम प्रकाशित ना करने की शर्त पर बताया कि इस अध्यापिका ने जब एक छात्र की काउंसलिंग की तो इंग्लिश में " ग्रामर" शब्द को ही कागज पर सही नहीं लिखा ,तो ये क्या इंग्लिश पढ़ाएगी। दुबारा संपर्क करने पर तो उनकी तरफ से उनके भाई ने गाली गलौज तक करने में कोई कसर नहीं रखी।विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात है कि संस्थान एक साल अनुभवी नौसीखिया से पढ़ाने और मार्केटिंग करवाने की कार्यवाही करता है जिसमें महिला काउंसलर और शिक्षिका छात्रों को बड़े बड़े प्रलोभन देते हैं । संस्थान आर्ट्स और कॉमर्स स्नातक पास अभ्ययार्थीयों तक से आईल्ट्स छात्रोंं को पढ़े़़़वाने की कार्रवाई करता है।
ब्रॉडवे कि सेवाओं के एक यूजर इंजीनियर लव शर्मा ने एक महीने पूर्व ही संस्थान कि साइट पर ऑनलाइन कॉमेंट देते हुए ये लिखा कि ये वीसा की कार्यवाही के दौरान बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते, एक बार जैसे ही आप अपने कागज , डॉक्युमेंट्स, और फीस जैसी अन्य औपचारिकताएं इनके साथ पूरी करते हो ये क्लाइंट से संपर्क नहीं करते।और पूरी फीस जमा करने के बाद इनका स्टाफ बुरा व्यवहार भी करता है।
संस्थान की इस रीति नीति से छात्र छात्राओं को कितना लाभ पहुंच सकता है ,इसका अंदाजा संस्थान के मैनेजमेंट और चयन प्रक्रिया से लगाया जा सकता है।
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